मेरे रग रग में बसा कविताओ का सागर
घमण्ड मेरा पर्वत से ऊंचा
शीश झुकाकर ना चल पाता हूं
तभी तो गगन से टक्कराता हूं
जब आनंदमय था सब कुछ, स्वर्ग नहीं था I
बदकिस्मती से वो नर्क नहीं था II
वैसे तो कवि स्वर्णमृग नहीं था I
उसमे और कवि में फर्क नहीं था II
विशाल अँधेरे के कक्ष में फंसा नहीं था I
कभी किसी विषैले तीर ने डसा नहीं था II
उड़ते सैलाबों का शिकार नहीं था I
कलमरहित कवि क्यों बेकार नहीं था ?
जूनून था पर जिद्दी जोश नहीं था I
आँखे खुली थी पर होश नहीं था II
शांति की तलाश में था I
कवि बेहोश होते हुए भी बेहोश नहीं था II
द्वार कई थे पर दरबान नहीं थे I
कवि की चुप्पी से कोई हैरान नहीं थे II
स्वयं के प्रति कवि फिकरदार नहीं थे I
ना जाने क्यों कवि इतने असरदार नहीं थे II
खबर मिली थी पर कवि खबरदार नहीं थे I
इस मूर्छितावस्था में कवि बिलकुल मजेदार नहीं थे II
लबो पर कविताये नहीं थे, पर हौसले बुलंद थे I
कवि कैदियों की भांति सलाखों में बंद थे II
कवि पर कसे गए भारी व्यंग्य के छंद थे I
कवि बन चुके कटी हुई पतंग थे II
न जाने कवि कोनसे कमरे में बंद थे I
न जाने क्यों कवि नहीं हम थे II
लेखा जोखा पंक्तियों में जचाकर कवि ने आज पुकारा है I
कवि ने कुछ नया भी सीखा है, गलतियों को भी स्वीकारा है II
अब देना साथ हमारा है अब देना साथ हमारा है I
यही कवि का नारा है, यही कवि का नारा है II
बहुत हुआ सूखा आभाष कवि का I
अब भर देंगे मटकी में पूरा पानी II
शोर मचेगा जनता के बीच I
जब गूंजेगी कवि की वाणी II
हम तो केवल सलाम करेंगे I
जब जनता बजाएगी जोरो शोरो से ताली II
Priyanshu Poet
23 NOV 2022
याद है वो वक्त जब शोर मचा करता था I
कवि का भी समय पर जोर चला करता था II
साहस की बाते कवि रोज करा करता था I
उन्मुक्त कवि तब मौज करा करता था II
निडर कवि जगत के मंसूबो से अनजान था I
वो वक्त बड़ा महान था, वो वक्त बड़ा महान था II
कभी इधर उधर उड़ता सपनो के साये में I
कभी उड़ता अपनी ही राहों में II
कोमल दुनिया तलाश रही है अब भी मेरी आँखे
क्या देख सकी ये दुनिया मेरी निगाहो में ?
वक्त वही था जब ना थी चिंता I
ना होड़ लगी थी सांसो में II
अब तो हालात ही ऐसे है कवि के I
कुछ रखा नहीं पूरानी बातो में II
उन दिनो की बात अलग थी I
कवि पढता था जगरातों में II
By Priyanshu Poet
१० मार्च 2023
मैं आभास नहीं होने देता कुछ भी
लेकिन मेरी पंक्तिया तो कहती है।
हर एक रहस्य जो होता है मेरा
उसको उजागर करती हैं।
पर फिर भी कुछ बच जाता हैं
खुद मे दफना देता हूँ।
मत पूछो मुझसे हालात अभी
पूरी दुनियाँ से कहता हूँ।
नहीं आया हैं वो समय अभी
सही दौर को आने दो।
इंतजार की प्रतिक्षा करो लगातार
पहले मुझे बदल जाने दो।
Priyanshu Poet